अनहेर भ' गेलै......कोना के आब कटतै ओकर परिवारक दिन......? कंठ लागल बेटी छै घर मे...... दू टा संतान मे बेटीए जेठ छै......कोना हेतइ ओकर बियाह? किशन..असेसरक बेटा ...चौदहे बरखक छै.......कोना के सम्हारतै घर.? कोना करतै बहिनक बियाह......?बेशी जथो-पात नहि छै जे बेच लेत. पाँचे कट्ठा खेत छैक. ओकरो यदि बेच लेत तखन खेतै कथी.? अनेको प्रश्न..अनेको मुँह...सगरो संवेदना...सगरो गाम एकहि टा' बात..जुलुम भ' गेलै........भरल जुआनी मरि गेल असेसर......चालीसे बरखक अबस्था मे...नहि जानि कोन बेमारी धेलकै..ओह ....कन्नारोहट...नहि देखल जाइछ किशुनमा मायक कानब..हे भगवान...ई की भइ गेलै.....?
हाक-डाक छै......के जेतै कठियारी......एगारह गोटे हिम्मत क के विदा भेल. आगाँ-आगाँ किशन हाथ मे आगिक कोहा नेने विदाह भेल...मुखाग्नि देलकै..धधकि उठल अछिया..कक्का .....हबोढकार भ' कानय लागल किशुनमा हमरा कान्ह पर मूड़ी रखने...संतोष बान्ह.....नहि भेल एहि सँ आगाँ किछु कहल हमरो..कंठ बाझि गेल जेना.
तीन दिन बीतल..बैसार छै आइ..कोना हेतै काज..गंगे कात मे बढ़िया हेतै-कहलियै हम."नहि-नहि, ई ठीक नइ हेतइ"- चट द' कहलखिन्ह पढुआ कका. चुप भ' गेल रही हम."कनिञा, अहाँ कोनो तरहक चिन्ता नहि करू..हमरा लेल जेहने हमर अप्पन बेटा-पुतोहु अछि तहिना अहूँ छी. हम करबइ असेसरक श्राद्ध. ओकर श्राद्ध गामे मे हेतइ. अहाँक जतेक खर्च करबाक हो से करू. अहाँक जे केने संतोष भेटै से करू. कोनो तरहक बिथुति नहि रहतैक." -असेसरक कनिञा के कहलखिन्ह पढुआ कका. केबारक अढ़ मे बैसलि किशुनमा माय आ' दरबज्जा पर बैसल किशन, किछु नहि बाजल रहय. "हाँ-हाँ, नीक जेकाँ श्राद्ध त' हेबाके चाही जाहि सँ मृतक के सद्गति प्राप्त हो"- बजलथि पण्डित कका.
पंचदान श्राद्ध आ दुनू साँझ सौजनिया होयब निश्चित भेल.एकादशा......द्वादशा...बड़..बड़ी..पचमेर..बड्ड नीक काज भेलइ. जेहने पवित्र असेसरक मोन रहैक तेहने पवित्र काज भेलै.सभ सामग्री एक पर एक..... जस दैत नोतहारी....सौँसे गाम.
माछ-मौसक प्रात, आगाँ-आगाँ किशुन आ' पाछाँ ओकर माय के चौक दिस सँ अबैत देख मोन मे शंका भेल.लग अबितहि पुछलियै-कत' सँ अबैत छह.? "झंझारपुर सँ"-कहलक किशुन.मोनक शंका आओर बढ़ि गेल. तखनहि पाछाँ सँ पढ़ुआ कका के अबैत देख सभ शंका दूर भ' गेल छल.रजिस्ट्री आफिस सँ?...मुँह सँ बहरा गेल हमरा..मूड़ी झुका लेलक किशुन..किशुनक हाथ मे झुलैत रसगुल्ला भरल पन्नी देख अनायास मुँह सँ बहरा गेल-"सद्गति भेट गेल असेसर के".
— चंदन कुमार झा